Wednesday, April 22, 2015

एक किसान की मौत

आज एक किसान की मौत का नज़ारा
देखा हिंदुस्तान ने
कौन था वो, किसको पता
किस गम में था वो बेचारा
जो खेत छोड़ शहर वो आया
जो हल चलाने वाले हाथ थे
क्यों बना बैठे फांसी का फंदा
कौन था उस भीड़ में ज़िंदा
कुछ बोलने वाले कुछ मौन धारी मुर्दा
किसकी ज़मीन, किसके मकान
किस दाम में बिकेगा आसमान
किस शहर में बसेगा हिंदुस्तान
आज फिर मर गया एक किसान
उसे बचाने वाला,
न था कोई इंसान
न कोई भगवान
जिया बेनाम, मारा अनजान
सूनी शमशान में एक और मेहमान
क्यों है मेरा भारत महान

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