नहीं पता सरकार किसकी है
नहीं पता दरकार किसकी है
सत्य तो वो है जो कल गुज़र गया
इस रफ़्तार से रूठ ठहर गया
आज अखबार की खबर
कल फिर चल पड़ेगा ये शहर
शव को तौला हमने उसकी सोने की तराज़ू में
इंसानियत नीलाम की चंद मौहरों में
उसकी लाश पर बनेगा एक कारखाना
बनेगी स्टील बढेगा देश का खजाना
कल भूल चलेंगे उसके आँसूं हमसब
किसी सीमेंट के बगीचे में गयी है इंसानियत थम
खेत भूल गए खो गयी मिट्टी की मादक महक
किसी गुमनाम शमशान में जल रही है इंसानियत दहक दहक
उद्योग तुम्हारा शहर तुम्हारा
उजर गया गुलिस्तां हमारा
सोने की लंका आज फिर रची है
अशोक वाटिका आज फिर सजी है
क्या कलियुग में रावण करेगा रणविजय
राम की जयकार भूल कर जीतेगा भय
सुदामा क्या दरिद्र रहेगा
क्या गंगा में लहू बहेगा
किसी की ताकत बनी है धन
और कइयों को बनाया इसने निर्धन
जिस किसान के पास था हल
आज बना वो लाचार निर्बल
क्या आज फिर चुप बैठेगा इंसान
एक बार फिर मजबूर मरेगा कोई किसान
लाशों के पहाड़ पर तिरंगे की शान
यही बन गया है क्या हिन्दुस्तान।
Showing posts with label farmers right. Show all posts
Showing posts with label farmers right. Show all posts
Thursday, April 23, 2015
किसान की नीलामी
Subscribe to:
Posts (Atom)